Dated : 27 February 2018
Monday, 26 February 2018
Voting In Meghalaya & Nagaland
Saturday, 24 February 2018
उपचुनाव बने बीजेपी के लिए सिरदर्द
Dated : 24 February 2018
2014 आम चुनाव में 282 सीट जीतकर आई बीजेपी के पास अब लोकसभा में स्पीकर समेत 273 सीटें ही बची हैं… इसलिए आने वाले लोकसभा उपचुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गये हैं… अब अगर दो और लोकसभा उपचुनाव बीजेपी हार जाएगी तो वो लोकसभा में उसके अकेले के पास पूर्ण बहुमत नहीं रहेगा… 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आयी थी तो उसके पास बहुमत के अकड़े से 10 सीटें ज्यादा थी.... मगर उस बाद हुए कई उपचुनाव में पार्टी को हर का समाना करना पड़ा... मगर वर्त्तमान स्तिथि की बात करे तो बीजेपी के पास लोकसभा में 273 सांसद है जिसमे लोकसभा की स्पीकर भी शामिल है... बीजेपी के हारने का सिलसिला मध्यप्रदेश से हुआ.... साल 2015 रतलाम से बीजेपी सांसद दिलीपसिंह भूरिया की मौत के बाद उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत दर्ज की... साल 2017 में पंजाब के गुरदासपुर से बीजेपी सांसद और अभिनेता विनोद खन्ना की मौत के बाद उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के सुनील कुमार झाखड़ ने जीत दर्ज की...हाल ही में हुए राजस्थान के अजमेर और अलवर में उपचुनाव हुए ये दोनों सीटें भी कांग्रेस ने बीजेपी से छीन लीं…. इसी बीच महाराष्ट्र से पालघर लोकसभा से बीजेपी सांसद चिंतामन वंगा और यूपी के कैराना से बीजेपी संसाद हुकुम सिंह की मौत के बाद भी ये दोनों सीटें ख़ाली हो गई.. महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद नाना पटोले बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होगये... इसके आलावा यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की लोकसभा सीट गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री बनने के बाद केशवप्रसाद मौर्या की फूलपूर सीट खाली हो चुकी है..इन दोनो सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव होना है.... 2014 में इन सभी सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा था जिनमे से 4 कांग्रेस के खाते में चली गयी और बाकि 5 सीट अभी खाली है.... बीजेपी की परेशानी का सबब ये भी है कि उसके सहयोगी दल नाराज़ चल रहे है.. TDP और शिवसेना की नाराज़गी जग ज़ाहिर है… इधर ख़बर ये भी है कि अकाली दल के रिश्ते भी बीजेपी से अच्छे नहीं चल रहे…. विधानसभा उपचुनाव को भी बीजेपी ने नाक का सवाल बना लिया है… आज मध्यप्रदेश की दो विधानसभा सीट कोलारस और मुंगावली पर उपचुनाव के लिए वोट डाले गये .... ये दोनों ही सीटें कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकसभा सीट गुना में आती है और इसीलिए यह उपचुनाव उनकी साख की लड़ाई बना हुआ है... कांग्रेस इस बात को लेकर आशवस्त है की वो ये दोनों सीट आसानी से जीत जाएगी..पहले भी यह दोनों सीट कांग्रेस के पास ही थी...वही दूसरी ओर बीजेपी और सीएम शिवराजसिंह चौहान के लिए यह चुनाव सिरदर्द का कारन बना हुआ है..क् योंकि कुछ समय पहले चित्रकूट में हुए उपचुनाव बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था.... दोनों ही पार्टियों ने ये उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है… ये सच है कि इस हार-जीत से मध्य प्रदेश सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला…. मगर इसी साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये उपचुनाव काफ़ी महत्वपूर्ण हो गया है….
नागालैंड में पिछले 54 साल में 12 विधानसभा चुनाव... लेकिन आज तक एक भी महिला विधायक नहीं बनी...
Dated : 24 February 2018
नागालैंड देश की अकेली ऐसी विधानसभा है जहाँ आज तक एक भी महिला विधायक नहीं बनी है...इस महीने के अंत में नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने है...और इस बार नागालैंड में 195 उम्मीदवार मैदान में है जिनमें से सिर्फ पाँच महिला उम्मीदवार है..... नागालैंड में पिछले 54 साल में 12 विधानसभा चुनाव हो चुके है...लेकिन 60 सदस्यों वाली इस विधानसभा में कभी एक भी महिला विधायक जीतकर नहीं पहुंची….27 फ़रवरी को नागालैंड में विधानसभा चुनाव के लिए वोट जाने है.... इस बार चुनाव में 195 उम्मीदवार मैदान है...जिसमे से महज़ 5 महिला उम्मीदवार है.....जिसमे नेशनल पीपल्स पार्टी ने 2 . भारतीय जनता पार्टी और नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने एक - एक और एक निर्दलीय महिला उम्मीदवार है... कुलमिलाकर 256 नामांकन दाखिल किये गए....जिसमे से 32 ने अपना नामांकन वापस ले लिया जबकि 29 के नामांकन रद्द हो गये…. अब 27 फरवरी को 60 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए 195 नामांकन भरे गए है... सत्तारूढ़ नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 58 सीट , जेडी (यू) 13 पर , नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 25, एनसीपी 6 पर , आमदमी पार्टी 3 पर , दो सीटों पर एलजेपी और 11 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है..... बीजेपी ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन किया है....बीजेपी 20 और NDPP 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.... गठबंधन का नेतृत्व नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सासंद नीफ्यू कर रहे हैं.. नीफ्यू रियो 2018 विधानसभा के लिए निर्विरोध चुने गये…. उधर कांग्रेस के अब 18 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं.... कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान में अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रत्याशियों का समर्थन करें..... नागालैंड में पिछले 15 साल से नागा peoples front की सरकार है.....बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही यहाँ पर सत्ता में आना आसान भी नहीं होगा... वही सत्ताधारी पार्टी नागा peoples front के लिए भी 15 साल की एंटी इंकम्बेंसी का सामना करने की चुनौती होगी...
Sunday, 18 February 2018
आज त्रिपुरा में वोटिंग...सीपीआईएम की स्तिथि मजबूत...
Dated : 18 February 2018
आखिर 18 फरवरी आगई आज त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने है.. यहां पिछले 25 साल से सीपीआईएम की सरकार है… इस बार बीजेपी के एजेंडे में त्रिपुरा सबसे ऊपर है…. लेकिन 25 साल की एन्टीइन्कम्बेंसी होने के बावजूद त्रिपुरा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए सीपीआईएम को हराना आसान नहीं है.... पिछले चुनाव में त्रिपुरा में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और सीपीआईएम के बीच रहा था.....लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में यह त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है......त्रिपुरा विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है..... कांग्रेस इसे बड़ी चुनौती के रूप में देख रही है....इस बार कांग्रेस ने 56 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं..... कांग्रेस और सीपीआईएम के अलावा बीजेपी ने भी त्रिपुरा की कुर्सी हथियाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है... बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रचार का प्रमुख चेहरा रखा है…. लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री के कद के सामने बीजेपी का कोई दूसरा नेता टिक नहीं पा रहा….. बीजेपी वोट बटोरने के लिए त्रिपुरा में हिंदुत्व कार्ड खेल रही है… त्रिपुरा में पिछले 25 साल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआईएम की सरकार है… पिछले चुनाव में सीपीआईएम और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई थी जिसमें कांग्रेस के हाथ 60 में से सिर्फ़ दस सीटें लगी थीं… बाकी की उनचास सीटों पर सीपीआईएम और एक सीट पर सीपीआई ने जीत हासिल की थी… कांग्रेस के 6 विधायक बाद में तृणमूल कांग्रेस में और फिर बीजेपी में शामिल हो गये…इस तरह बीजेपी की एंट्री त्रिपुरा विधानसभा में हो तो गई…मगर उसने अभी तक राज्य में एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीता है… ये विधानसभा चुनाव उसकी असली परीक्षा हैं…राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व वाली सीपीआईएम सरकार के त्रिपुरा में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने और Armed Forces Special Powers Act को हटाने से त्रिपुरा की जनता काफी खुश है और पार्टी को इसका चुनाव में बेहद फ़ायदा मिल सकता है..... देश के 31 मुख्यमंत्रियों पर हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने नेशनल इलेक्शन वाच के साथ मिलकर एक रिपोर्ट जारी की.... रिपोर्ट के मुताबिक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं जिनकी कुल 26 लाख रुपये की संपत्ति है.. इस सम्पत्ति में बीस लाख से ज़्यादा उनकी पत्नी को रिटायरमेंट के बाद मिला पीएफ़ का पैसा है .माणिक सरकार पिछले 20 सालों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं वे पहली बार साल 1998 में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने थे..इस बार के विधानसभा चुनाव में भी सीपीआईएम की स्तिथि काफी मजबूत नज़र आरही है... सीपीआईएम पिछले 25 साल से सत्ता में काबिज़ है और 25 साल एंटी इंकम्बेंसी होने बावजूद भी सीपीआईएम को हराना कांग्रेस और बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर होगा….
Thursday, 15 February 2018
Nagaland Poll
Dated : 13th February 2018
इस महीने के अंत में नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने है... हाल ही में नागालैंड में हुई सर्वदलीय बैठक में सत्ताधारी नागा पीपल्स फ्रंट, बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों ने नगालैंड विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा थी...और नामांकन दाखिल न करने की बात कही थी...मगर फिर बीजेपी और उसके बाद NPF ne ये समझौता तोड़ते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया… 29 जनवरी को सर्वदलीय बैठक में नागा समस्या के समाधान की मांग को लेकर विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की थी....29 जनवरी को हुई बैठक के समझौते पर कुल 11 पार्टियों ने दस्तखत किए थे.... इसमें सत्ताधारी पार्टी एनपीएफ और बीजेपी भी शामिल थी ..... सभी पार्टियों ने यह अपील की थी कि कोई भी उम्मीदवार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन न भरे... लेकिन नामांकन की आख़िरी तारीख़ से एक दिन पहले बीजेपी ने समझौता तोड़ते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया… बीजेपी के बाद सत्तारूढ़ NPF भी मैदान में आ गया… इसके बाद तो सभी पार्टियों ने चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया… कुलमिलाकर 256 नामांकन दाखिल किये गए....जिसमे से 32 ने अपना नामांकन वापस ले लिया जबकि 29 के नामांकन रद्द हो गये…. अब 27 फरवरी को 60 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए 195 नामांकन भरे गए है... सत्तारूढ़ नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 58 सीट , जेडी (यू) 13 पर , नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 25, एनसीपी 6 पर , आमदमी पार्टी 3 पर , दो सीटों पर एलजेपी और 11 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है..... बीजेपी ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन किया है....बीजेपी 20 और NDPP 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.... गठबंधन का नेतृत्व नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सासंद नीफ्यू कर रहे हैं.. नीफ्यू रियो 2018 विधानसभा के लिए निर्विरोध चुने गये…. कांग्रेस के अब 18 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं.... कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान में अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रत्याशियों का समर्थन करें..... नागालैंड में पिछले 15 साल से नागा पीपल्स फ्रंट की सरकार है.....बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही यहाँ पर सत्ता में आना आसान भी नहीं होगा... वही सत्ता धारी पार्टी नागा पीपल्स फ्रंट के लिए भी 15 साल की एंटी इंकम्बेंसी का सामना करने की चुनौती होगी...
Remembering Dr.Zakir Husain
Dated : 08 February 2018
डॉ ज़ाकिर हुसैन आज़ाद भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। साल 1948 में जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया। 1956 में राज्यसभा के अध्यक्ष चुने गये । लेकिन एक वर्ष बाद 1957 में बिहार के गवर्नर नियुक्त हुए और उन्होंने राज्यसभा की सदस्या त्याग दी।1962 में वे देश के उपराष्ट्रपति निवाचित हुए। 13 मई 1967 में भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने और देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया। वे राष्ट्रपति जैसे उच्च पद तक वे अपनी योग्यता और प्रतिभा से पहुंचे थे। डॉ ज़ाकिर हुसैन भारत में शिक्षा सुधर को लेकर हमेशा तत्पर रहे। अपनी अध्यक्षता में उन्होंने विश्वविद्यायल शिक्षा आयोग को शिक्षा का स्तर बढ़ाने के उदेश्य से गठित किया। उन्होंने दिल्ली के करोल बाघ में एक Secular शिक्षा संस्थान की नीव राखी और 1 मार्च 1935 को दिल्ली के जामिया नगर में स्थापित किया गया। जिसका बाद में नाम जामिया यूनिवर्सिटी पड़ा।साल 1954 में पद्मविभूषण से और साल 1963 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 3 मई 1969 में उनका देहांत होगया। वे पहले राष्ट्रपति थे जिनके कार्यकाल के दौरान उनकी मौत होगई जिसके बाद उन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में ही दफनाया गया था। डॉ ज़ाकिर हुसैन को भारतीय राजनिती और शिक्षा के छेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जायेगा।
Monday, 5 February 2018
त्रिपुरा और मेघालय विधानसभा चुनाव
Dated : 5 February 2018
साल 2018 के लिए त्रिपुरा बीजेपी के एजेंडे में सबसे ऊपर है…. त्रिपुरा में पिछले 24 साल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआईएम की सरकार है… पिछले चुनाव में सीपीआईएम और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई थी जिसमें कांग्रेस के हाथ 60 में से सिर्फ़ दस सीटें लगी थीं… बाकी की पचास सीटों पर सीपीआईएम ने जीत हासिल की थी… कांग्रेस के 7 विधायक बाद में तृणमूल कांग्रेस में और फिर बीजेपी में शामिल हो गये…. इस तरह बीजेपी की एंट्री त्रिपुरा विधानसभा में हो तो गई… मगर उसने अभी तक राज्य में एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीता है… ये विधानस भा चुनाव उसकी असली परीक्षा हैं… राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व वाली सीपीआईएम सरकार के त्रिपुरा में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने और Armed Forces Special Powers Act को हटाने से त्रिपुरा की जनता काफी खुश है और पार्टी को इसका चुनाव में बेहद फ़ायदा मिल सकता है.... 24 साल एंटी इंकम्बेंसी होने बावजूद भी सीपीआईएम को हराना कांग्रेस और बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर होगा…. मेघालय की जो कांग्रेस का गड माना जाता है ...मेघालय में पिछले 9 साल से कांग्रेस की सरकार है....कांग्रेस के सामने किला बचाने की चुनौती है.... कांग्रेस के लिए मेघालय में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है... मुकुल संगमा से नाराज़ चल रहे कांग्रेस के 5 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है.....और ये सभी विधायक नेशनल पीपल्स पार्टी में शामिल हो गये… इन 5 के आलावा 3 और विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है....गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बाद और राजस्थान के उपचुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत से पार्टी का मनोबल काफी बड़ गया है...कांग्रेस फ़िलहाल वर्तमान मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की अगुवाई में ही चुनाव लड़ रही है… और बीजेपी के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो मुकुल संगमा को टक्कर दे सके... जिसका खामियाज़ा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है..
Friday, 2 February 2018
पांचो सीट पर बीजेपी की हर : राजस्थान में कांग्रेस ने किया क्लीन स्वीप 3 - 0 : पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत
Dated : 2 February 2018
गुरुवार को राजस्थान और पश्चिम बंगाल की 5 सीटों के उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए... पश्चिम बंगाल की दोनों सीटों पर ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने जीत दर्ज की...Noapara विधानसभा सीट से TMC के सुनील सिंह ने जीत दर्ज की.. इस सीट पर पहले कांग्रेस का कब्ज़ा था.....अब बात करते है Uluberia लोकसभा सीट से TMC की साजिदा अहमद ने 4,74,000 वोटों से जीत दर्ज की.... पहले भी यह सीट TMC के पास ही थी... राजस्थान की तीनों सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की.. अलवर लोकसभा सीट से कांग्रेस के डॉ कारण यादव ने 1,96,496 वोटों से और अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के रघु शर्मा ने 84,414 वोटों से जीत दर्ज की... इन दोनों लोकसभा सीट को मिलकार अब कांग्रेस के लोकसभा में 48 सांसद हो जायेंगे..... राजस्थान की ही मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विवेक धाकड ने 12,976 वोटो से जीत दर्ज की.....कांग्रेस ने अब तीनो सीटों पर कब्ज़ा कर लिया....पहले ये तीनों सीट बीजेपी के पास थी..…राजस्थान में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है और इस जीत के साथ कांग्रेस का मनोबल काफी हद तक बड़ गया है...वही दूसरे ओर इन चुनावी नतीजों आने के बाद मौजूदा बीजेपी सरकार और राजस्थान मुख्यामंत्री वसुंधरा राजे के लिए करारा झटका लगा है….बीजेपी के लिए अब विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करना इतना आसान भी नहीं होगा....पिछले 4 साल की एन्टी इंकम्बेंसी का खामियाज़ा भी बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है..
सिर्फ उपचुनाव नहीं : राजस्थान का सेमीफइनल
Dated : 29 January 2018
आज राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए वोट डेल गए…. इसी साल राजस्थान विधानसभा के लिए भी चुनाव होने हैं… इसलिए ये उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं है....पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटें बीजेपी ने जीती थी…. कांग्रेस के दिग्गज नेता भी चुनाव हार गये थे…. आज एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी के लिए परीक्षा की घड़ी है…. अजमेर और अलवर लोकसभा सीट पर और मंडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए वोट डेल गए …. अलवर सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में अलवर में बीजेपी के महन्त चांदनाथ ने कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को हराया था.....महन्त चांदनाथ के निधन के बाद इस उपचुनाव में अलवर से कांग्रेस भंवर सिंह जितेंद्र की जगह डॉ करण सिंह यादव को और बीजेपी ने वर्त्तमान राजस्थान सरकार में मंत्री जसवंत सिंह यादव को मैदान में उतारा .... अजमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के सचिन पायलट को बीजेपी के सांवरलाल जाट ने हरा दिया था.... सचिन पायलट की जगह पर अजमेर में कांग्रेस ने रघु शर्मा को और बीजेपी ने रामस्वरुप लांबा उम्मीदवार बनाया ..वही माण्डलगढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी ने शक्ति सिंह हाडा और कांग्रेस ने विवेक धाकड़ को मैदान में उतरा...यह तीनो ही सीटें बीजेपी के पास थी और बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी इन सीटों को जीतना चाहेगी...गुजरात में कांग्रेस के प्रदर्शन से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी बड़ा है…. गुजरात के चुनाव प्रभारी राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत थे... बीजेपी के लिए इस बार जीत दर्ज करना इतना आसान भी नहीं होगा....पिछले 4 साल की एन्टी इंकम्बेंसी का खामियाज़ा भी बीजेपी को भुगतना पढ़ सकता है...चुनावी मुद्दों के आलावा एक और मुद्दा जो गरमाया हुआ है वो है फिल्म पद्मावत का...जिसका करणी सेना पूरे देश में विरोध कर रही है...इसीलिए राजस्थान में बीजेपी ने फिल्म की रिलीज़ को लेकर पुरज़ोर विरोध किया…. कांग्रेस ने राजस्थान में इस मुद्दे पर चुप्पी ही साधी रखी....... यह चुनाव इसीलिए भी दिलचस्प है क्योंकि इसी साल के आखीर में विधानसभा चुनाव होना है..... वैसे भी कांग्रेस और बीजेपी के सीधे मुकाबले वाले इस राज्य में पिछले 5 चुनावों के दौरान हर बार सरकार बदलती रही है.... इस उपचुनाव से काफ़ी हद तक विधानसभा चुनाव के नतीजों का संकेत मिल सकता है…
* क्या हुआ था भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर *
Dated : 26 January 2018
आज़ादी मिलने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र देश के रूप में बदला और देश में संविधान लागू हुआ.... देश में सभी कार्य संविधान के हिसाब से लागू हुए... 26 जनवरी 1950 को देश में गणतंत्र कितने बजे और कैसे घोषित हुआ इसपर एक नज़र डालते है .....पीआईबी (प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो, भारत सरकार) के अनुसार देश में 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 बजे भारत एक गणतंत्र बना.... इस के छह मिनट बाद 10.24 बजे राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी... इस दिन पहली बार बतौर राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से निकले थे. इस दिन पहली बार उन्होंने भारतीय सैन्य बल की सलामी ली थी. पहली बार उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था.... 26 जनवरी के ही दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम 1935 को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था.... एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था.... 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था.... 26 जनवरी 1950 को 34वें और आखिरी गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजागोपालाचरी ने एक घोषणा के जरिए भारत को गणतंत्र देश घोषित किया...तभी से भारत में संविधान लागू हुआ और भारत को लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किया गया.....
National Voters' Day
Dated : 25 January 2018
हम हर साल गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले एक और बहुत ही महत्वपूर्ण दिन आता है..... National Voters Day यानी राष्ट्रीय मतदाता दिवस.... साल 2011 में 25 जनवरी को पहली बार राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया...राष्ट्रीय मतदाता दिवस भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण दिन है....इस दिन का उद्देश युवा भारतीय मतदाताओं को लोकतांत्रिक और राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है....और Right To Vote यानी लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत का इस्तेमाल नये युवा वोटर्स को बताना और उन्हें जागरूक करना है....साल 2011 में उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाये जाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी.... इसके लिए 25 जनवरी को चुना गया गया क्योंकि इसी दिन 1950 में चुनाव आयोग की स्थापना हुई थी........ इस साल भारत अपना 8वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनायेगा.... पहले वोट करने की आयु 21 वर्ष थी....लेकिन 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने वोट करने की आयु को 18 साल कर दिया था...... दुनिया भर के कई देशों ने आधिकारिक मतदान उम्र के रूप में 18 वर्ष की सीमा को अपनाया था....भारत की तकरीबन 65 % से अधिक आबादी 35 साल की उम्र से कम है और इसका एक बड़ा हिस्सा 18 साल का पड़ाव पार कर रहा है। उन्हें जागरूक करना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनाना और अपने दायित्वों का एहसास कराना बहुत जरूरी है.....और इसी तरह से भारतीय लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है....
Father of Indian Nuclear Programme
Dated : 24 January 2018
वे भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे...उन्हे भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक और Father of Indian Nuclear Programme भी कहा जाता है....डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की आज 52 वी पुण्यतिथि है.. उन्होंने देश के परमाणु का कार्यक्रमों की मजबूत नींव रखी.... जिसके चलते भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों में गिना जाता है.....डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने काफी कम वैज्ञानिकों की सहायता से परमाणु क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य शुरू वाले डॉ भाभा ने समय से पहले ही परमाणु ऊर्जा की क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों में उसके उपयोग की संभावनाओं को परख लिया था...उन्होंने Nuclear Science के क्षेत्र में उस समय कार्य आरम्भ किया जब Inconsistent chain reaction का ज्ञान न के बराबर था और Nuclear power से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था.... उन्होंने ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च’ और ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेण्टर’ के स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.... वो भारत के ‘एटॉमिक एनर्जी कमीशन’ के पहले अध्यक्ष भी थे..... वर्ष में 1943 में एडम्स पुरस्कार,1948 में हॉपकिन्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया.... साल 1959 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डॉ. ऑफ सांइस प्रदान की.... साल 1954 में भारत सरकार ने डॉ. भाभा को पद्मभूषण से सम्मानित किया....उनको पाँच बार Nobel Prize for Physics के लिए nominate किया गया....उनकी मृत्यु के बाद, बॉम्बे में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान को उनके सम्मान में Bhabha Atomic Research Centre का नाम दिया गया....
"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" : सुभाष चन्द्र बोस
Dated : 23 January 2018
भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे......वे नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं.....द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था....तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आय ... सुभाष चन्द्र बोस के 121 वे जन्मदिन पर एक नज़र उनके राजनतिक सफर पर .... भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया.... अँग्रेज़ी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया....1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर बोस ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और भारत लौट आए.... सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए.... सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे.... महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, वहीं सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे....सबसे पहले गाँधीजी को राष्ट्रपिता कह कर नेताजी ने ही संबोधित किया था....1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया.... यह नीति गाँधीवादी आर्थिक विचारों के अनुकूल नहीं थी.... 1939 में बोस पुनः अध्यक्ष चुने गये उन्होंने महात्मा गाँधी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतरमाइआह को हराया था जिसे गांधी ने इसे अपनी हार के रुप में लिया... उनके अध्यक्ष चुने जाने पर गांधी जी ने कहा कि बोस की जीत मेरी हार है और ऐसा लगने लगा कि वह कांग्रेस वर्किंग कमिटी से त्यागपत्र दे देंगे....गाँधी जी के लगातार विरोध को देखते हुए उन्होंने स्वयं कांग्रेस छोड़ दी....उन दिनों महात्मा गाँधी के बाद सुभाष चंद्र बोस सबसे प्रसिद्ध नेता थे.....उस वक़्त पंडित जवाहरलाल नेहरू महतमा गाँधी के काफी गरीबी माने जाते थे...जवाहरलाल और सुभाष चन्द्र बोस के भी विचार अलग अलग थे.... विचार अलग अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे का बहुत सम्मान करते थे... सक्रिय राजनीति में आने से पहले नेताजी ने पूरी दुनिया का भ्रमण किया.... वह 1933 से 36 तक यूरोप में रहे.... यूरोप में यह दौर था हिटलर के नाजीवाद और मुसोलिनी के फासीवाद का....नाजीवाद और फासीवाद का निशाना इंग्लैंड था, जिसने पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी पर एकतरफा समझौते थोपे थे.... वे उसका बदला इंग्लैंड से लेना चाहते थे.... भारत पर भी अँग्रेज़ों का कब्जा था और इंग्लैंड के खिलाफ लड़ाई में नेताजी को हिटलर और मुसोलिनी में भविष्य का मित्र दिखाई पड़ रहा था.... उनका मानना था कि स्वतंत्रता हासिल करने के लिए राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ कूटनीतिक और सैन्य सहयोग की भी जरूरत पड़ती है....नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चन्द्र ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की.... द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था..... नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुँचे.... यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" दिया....
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 51 वी पुण्यतिथि : जय जवान जय किसान
Dated : 11 January 2018
वे आज़ाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे...उनके शासनकाल में 1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में करारी शिकस्त दी....उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया....पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री...साल 1965 में उन्होंने एक नारा दिया था जय जवान जय किसान आज उनकी 51 वी पुण्यतिथि है...और 51 साल के बाद भी देश में किसान की हालत बहुत ही ख़राब है और वह आत्महत्या करने पर मजबूर है....
एक समय पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था.....उन्होंने इस नारे के जरिये समाज में वह एक संदेश पहुंचाना चाहते थे कि किसान और जवान देश की दशा और दिशा तय करते हैं..... अगर ये नहीं होंगे तो देश की हालत बिगड़ जाएगी..... जहां जवान देश की रक्षा करता है, वहीं किसान खेती के जरिये देश को अनाज देता है.....वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है लेकिन आज हम जब जय किसान का नारा सुनते हैं तो कुछ अजीब सा लगता है.....आज किसान की जय नहीं बल्कि पराजय हो रहा रही है..... किसान भूखा, आर्थिक और मानसिक रूप कमजोर हो रहा है..... फसल बर्बाद होने और कर्ज बड़े की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं..... भारत में किसानो की आत्महत्या के आंकड़ों की बता करे तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी (NCRB) की रिपोर्ट ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया यानी ADSI के अनुसार साल 2013 में 11,772 किसानो ने अत्यंहत्या की , 2014 में 12,360 किसानो ने अत्यंहत्या की , साल 2015 में 12,602 किसानो ने अत्यंहत्या की....वही अगर हम बात करे साल 2016 में 6867 किसानो ने किसानो ने अत्यंहत्या की जो की केवल 5 राज्यों के आंकड़े है जिसमे महाराष्ट्रा , मध्यप्रदेश ,तमिलनाडु , कर्नाटका और तेलंगाना के है...ये आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है....कुल मिलाकर साल 2013 से 2016 के बीच 43,603 किसानो आत्महत्या करली जो की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है....यह आंकड़ा महास 4 साल के है...... सरकारी योजनाएं फेल हो रही है...आज फसल बीमा, फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धता सरकार को सुनिश्चित करनी होगी और शायद तभी जवानों के साथ साथ किसानो की भी जय होगी..... और वही पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि होगी....जय जवान जय किसान....
एक समय पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था.....उन्होंने इस नारे के जरिये समाज में वह एक संदेश पहुंचाना चाहते थे कि किसान और जवान देश की दशा और दिशा तय करते हैं..... अगर ये नहीं होंगे तो देश की हालत बिगड़ जाएगी..... जहां जवान देश की रक्षा करता है, वहीं किसान खेती के जरिये देश को अनाज देता है.....वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है लेकिन आज हम जब जय किसान का नारा सुनते हैं तो कुछ अजीब सा लगता है.....आज किसान की जय नहीं बल्कि पराजय हो रहा रही है..... किसान भूखा, आर्थिक और मानसिक रूप कमजोर हो रहा है..... फसल बर्बाद होने और कर्ज बड़े की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं..... भारत में किसानो की आत्महत्या के आंकड़ों की बता करे तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी (NCRB) की रिपोर्ट ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया यानी ADSI के अनुसार साल 2013 में 11,772 किसानो ने अत्यंहत्या की , 2014 में 12,360 किसानो ने अत्यंहत्या की , साल 2015 में 12,602 किसानो ने अत्यंहत्या की....वही अगर हम बात करे साल 2016 में 6867 किसानो ने किसानो ने अत्यंहत्या की जो की केवल 5 राज्यों के आंकड़े है जिसमे महाराष्ट्रा , मध्यप्रदेश ,तमिलनाडु , कर्नाटका और तेलंगाना के है...ये आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है....कुल मिलाकर साल 2013 से 2016 के बीच 43,603 किसानो आत्महत्या करली जो की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है....यह आंकड़ा महास 4 साल के है...... सरकारी योजनाएं फेल हो रही है...आज फसल बीमा, फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धता सरकार को सुनिश्चित करनी होगी और शायद तभी जवानों के साथ साथ किसानो की भी जय होगी..... और वही पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि होगी....जय जवान जय किसान....
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी का पहले विदेश दौरा : बहरीन 8 जनवरी 2018
Dated : 10 January 2017
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी अपने पहले विदेश दौरे के लिए 8 जनवरी बहरीन पहुंचे....बहरीन पहुंचने पर राहुल गांधी का शानदार स्वागत हुआ.....बहरीन पहुंचने पर राहुल से मिलने के लिए हवाई अड्डे पर काफी भीड़ जमा हो गई... इसके बाद राहुल गाँधी एयरपोर्ट लॉबी में पहुंचे तो उनसे मिलने और उनके साथ सेल्फी लेने के लिए लोगों में होड़ लग गई...... इस दौरान राहुल गाँधी के साथ मौजूद एसपीजी को उन्हें वहां से निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी......हवाई अड्डे पर राहुल गांधी की आगवानी के लिए ‘ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजन’ यानी GOPIO के सदस्य भी मौजूद थे....राहुल गांधी ने बहरीन के प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा से भी मुलकात की....राहुल गाँधी ने बहरीन के प्रिंस शेख खालिद बिन हमद अल-खलीफा से भी मुलाकात की और उन्हें पंडित नेहरू द्वारा लिखी गई किताबें भी तोफे में दी जो पंडित नेहरू में उस वक़्त लिख थी जब वे जेल में थे...इन किताबों में Discovery Of India भी शामिल थी....खाड़ी देशों में करीब 35 लाख भारतीय रहते हैं....उन्होंने प्रवासी भारतीयों के एक सम्मेलन को संबोधित किया...सम्मेलन में भारी तादात में लोग राहुल गाँधी को सुनने के लिए मौजूद थे.....प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने देश के मौजूदा हालातों को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला....राहुल गाँधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर लोगों को जाति एवं धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया..... उन्होंने कहा कि सरकार बेरोजगार युवाओं के गुस्से को नफरत में बदल रही है.....भाषण के अंत में लोगों ने राहुल गांधी से सवाल भी पूछे.... यह पूछे जाने पर कि सत्ता में आने पर उनकी प्राथमिकताएं क्या होंगी....तो जवाब देते हुये राहुल गाँधी ने देश के लिए उनकी 3 सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताएँ भी बताई.....वही राहुल गाँधी के इस दौरे को लेकर बीजेपी ने उनपर आरोप लगाया कि राहुल गाँधी देश के बाहर जाकर देश का नाम ख़राब कर रहे है .... केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बीजेपी राहुल गाँधी के बयान की नंदा करती है... गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान से ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सरकार के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनया.... जिसकी झलक उनकी एक दिन की बहरीन यात्रा में साफ तौर पर दिखाई देती है....और ये बात भी साफ करदी की आने वाले समय में भी सरकार प्रति उनका रवैया कड़ा होगा.....
गुजरात विधानसभ चुनाव में 23 विधानसभा सीटें ऐसी थी इस विधानसभा चुनाव में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखी गई और एक छोटा सा बदलाव… राज्य का राजनैतिक नक्शा बदल सकता था…
Dated : 23 December 2017
गुजरात विधानसभ चुनाव के नतीजे आ चुके है....और भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की...बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई....लेकिन यह जीत बीजेपी को इतनी आसानी से नहीं मिल23 विधानसभा सीटें ऐसी थी इस विधानसभा चुनाव में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखी गईी....
182 सीटों में से बीजेपी ने 99 सीटें जीती हैं जबकि बहुमत के लिए 92 सीटों की ही जरूरत है.... वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने 80 सीटें जीती हैं जिसमें 77 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं....साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें हासिल हुई थीं..... पिछले बार के मुकाबले कांग्रेस को 16 सीटों का फ़ायदा हुआ और बीजेपी को 16 सीटों का नुक्सान हुआ..... बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई....लेकिन यह जीत बीजेपी को इतनी आसानी से नहीं मिली.... 23 विधानसभा सीटें ऐसी थी इस विधानसभा चुनाव में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखी गई और आंकड़े दिन भर ऊपर-नीचे होते रहे... सबसे पहले हम उन 7 सीटों की बात करते है जहाँ मुकाबला काफी पेंचीदे रहा...इन सभी 7 सीटों पर जीत का अंतर 1000 से काम वोटों का रहे....जिसमे से 170 वोट से कापरड़ा , 524 वोट से मनसा , 768 वोट से डंगस , और 972 वोट से दियोदर पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की ..... वही 258 वोट से गोधरा, 327 वोट से ढोलका और 906 वोट से बोटाड से बीजेपी ने जीत दर्ज की..... दो सीट ऐसी भी थी जहा 1200 से काम वोट से जीत हुई जिसमे 1093 वोट से छोटा उदयपुर कांग्रेस और 1164 वोट से विजापुर से बीजेपी ने जीत दर्ज की.... 7 सीट ऐसी भी थी जिनमे जीत का फैसला महज़ 2000 वोट का था...जिसमे 1640 वोट से मोडासा ,1779 वोट से तलाजा और 1361 वोट से वांकनेर में कांग्रेस ने जीत दर्ज की..... 1876 वोट से गरियाधर , 1712 वोट से हिमतनगर , 1855 वोट से पोरबंदर और 1883 वोट से उमरेठ में बीजेपी ने जीत दर्ज की... इसी प्रकार 7 सीट ऐसी थी जिसमे जीत का अंतर 3000 वोट का था... जिसमे 2093 वोट से धानेरा , 2518 वोट से जमजोधपुर और 2388 वोट से सोजित्रा से कांग्रेस ने जीत दर्ज की.... वही 2239 वोट से दभोई ,2711 वोट से फतेपुर ,2318 वोट से खंभात और 2406 वोट से मातर से बीजेपी ने जीत दर्ज की..... इन 23 विधानसभा सीटों में से अगर 12 सीट जो बीजेपी ने जीती अगर कांग्रेस जीत जाती तो नतीजे कुछ और ही होते कांग्रेस पार्टी के लिए... वही अगर इन 23 विधानसभा सीटों में 11 सीट बीजेपी जीत जाती तो भरी बहुमत से बीजेपी गुजरात में जीत दर्ज कर सरकार बनती....हालांकि 2012 के मकाबले इस बार गुजरात विधानसभा में 83 सीटों विपक्ष बड़ा ही मजबूत होगा...जो सत्ता धरी भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ सकता है.....
182 सीटों में से बीजेपी ने 99 सीटें जीती हैं जबकि बहुमत के लिए 92 सीटों की ही जरूरत है.... वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने 80 सीटें जीती हैं जिसमें 77 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं....साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें हासिल हुई थीं..... पिछले बार के मुकाबले कांग्रेस को 16 सीटों का फ़ायदा हुआ और बीजेपी को 16 सीटों का नुक्सान हुआ..... बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई....लेकिन यह जीत बीजेपी को इतनी आसानी से नहीं मिली.... 23 विधानसभा सीटें ऐसी थी इस विधानसभा चुनाव में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखी गई और आंकड़े दिन भर ऊपर-नीचे होते रहे... सबसे पहले हम उन 7 सीटों की बात करते है जहाँ मुकाबला काफी पेंचीदे रहा...इन सभी 7 सीटों पर जीत का अंतर 1000 से काम वोटों का रहे....जिसमे से 170 वोट से कापरड़ा , 524 वोट से मनसा , 768 वोट से डंगस , और 972 वोट से दियोदर पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की ..... वही 258 वोट से गोधरा, 327 वोट से ढोलका और 906 वोट से बोटाड से बीजेपी ने जीत दर्ज की..... दो सीट ऐसी भी थी जहा 1200 से काम वोट से जीत हुई जिसमे 1093 वोट से छोटा उदयपुर कांग्रेस और 1164 वोट से विजापुर से बीजेपी ने जीत दर्ज की.... 7 सीट ऐसी भी थी जिनमे जीत का फैसला महज़ 2000 वोट का था...जिसमे 1640 वोट से मोडासा ,1779 वोट से तलाजा और 1361 वोट से वांकनेर में कांग्रेस ने जीत दर्ज की..... 1876 वोट से गरियाधर , 1712 वोट से हिमतनगर , 1855 वोट से पोरबंदर और 1883 वोट से उमरेठ में बीजेपी ने जीत दर्ज की... इसी प्रकार 7 सीट ऐसी थी जिसमे जीत का अंतर 3000 वोट का था... जिसमे 2093 वोट से धानेरा , 2518 वोट से जमजोधपुर और 2388 वोट से सोजित्रा से कांग्रेस ने जीत दर्ज की.... वही 2239 वोट से दभोई ,2711 वोट से फतेपुर ,2318 वोट से खंभात और 2406 वोट से मातर से बीजेपी ने जीत दर्ज की..... इन 23 विधानसभा सीटों में से अगर 12 सीट जो बीजेपी ने जीती अगर कांग्रेस जीत जाती तो नतीजे कुछ और ही होते कांग्रेस पार्टी के लिए... वही अगर इन 23 विधानसभा सीटों में 11 सीट बीजेपी जीत जाती तो भरी बहुमत से बीजेपी गुजरात में जीत दर्ज कर सरकार बनती....हालांकि 2012 के मकाबले इस बार गुजरात विधानसभा में 83 सीटों विपक्ष बड़ा ही मजबूत होगा...जो सत्ता धरी भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ सकता है.....
गुजरात विधानसभा चुनाव बीजेपी जीत कर भी हार गई वही कांग्रेस हर कर भी जीत गई...मनोवज्ञानिक तौर पर कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी की प्रधानमंत्री के घर में उन्हें इतनी जबरजस्त टक्कर दी..
Dated : 21 December 2017
गुजरात विधानसभा चुनाव बीजेपी जीत कर भी हार गई वही कांग्रेस हर कर भी जीत गई...मनोवज्ञानिक तौर पर कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी की प्रधानमंत्री के घर में उन्हें इतनी जबरजस्त टक्कर दी...भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात चुनाव के दौरान यह दवा किया था की बीजेपी 150 से ज्यादा जीत कर सरकार बनायेगी मगर ऐसा नहीं हुआ....बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब तो हुई मगर 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले 11 % वोट शेयर का भारी नुक्सान उठाना पड़ा.... वही दूसरी ओर कांग्रेस को 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले 8 % वोट शेयर का फ़ायदा हुआ....
2014 में लोकसभा चुनाव में करीब 60 प्रतिशत वोटों के बाद गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का वो भरी गिरावट आई है.... जबकि कांग्रेस के वोट शेयर में काफी सुधार हुआ है... बीजेपी को 2012 विधानसभा में 47.85 %, 2014 लोकसभा चुनाव में लगभग 60.10 % और वर्त्तमान विधानसभा चुनाव में 49.1% वोट मिले....वही कांग्रेस को 2012 विधानसभा चुनाव में 38.93 %,2014 लोकसभा चुनाव में 33.45 % और वर्त्तमान विधानसभा चुनाव में 41.40 % वोट मिले....अगर हम 2012 और 2014 चुनाव से वर्तमान चुनाव की तुलना करे तो साल 2012 की तुलना में बीजेपी के वोट शेयर में 01.25% की बढ़ोत्तरी हुई वही 2014 चुनाव के मुकाबले 11 % वोट शेयर का भरी नुकसान हुआ....
वही अगर हम कांग्रेस की बात करे तो साल 2012 की तुलना में कांग्रेस के वोट शेयर में 02.40 % की बढ़ोत्तरी हुई वही 2014 चुनाव के मुकाबले तकरीबन 8 % वोट शेयर की भरी बढ़ोत्तरी हुई.... गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग की बार और जिस दिन नतीजे घोषित होने थे उस दिन भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया था की बीजेपी 150 सीटों के साथ चुनाव जीतेगी... लेकिन जब नतीजे आये तो बीजेपी को 99 सीटें मिली और जब अमित शाह से 150 सीटों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसका टिकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया और कहा की उन्हें नहीं पता था की कांग्रेस इतने निचले स्तर का प्रचार करेगी....
एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी यह बोल रही है की साल 2012 के मुकाबले उनका 1.25 % वोट शेयर बड़ा है..... मगर असल बात यह है की 2014 के चुनाव के मुकाबले बीजेपी को 11 % वोट शेयर का बहुत भरी नुकसान हुआ है.... वह भी तब जब भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 25 से ज्यादा केन्द्रमंत्री , 6 राज्यों के मुख्यामंत्री सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 40 से ज्यादा रॉलिएं करी.....बीजेपी ने सारी ताकत झोकदी सरकार का काम छोड़ कर सरे मंत्री चुनाव प्रचार में लगे थे उसके बाद भी कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी....
पनामा पेपर के बाद पैराडाइज पेपर्स का खुलासा....
Dated : 25 November 2017
पनामा पेपर के बाद अब पैराडाइज पेपर्स का खुलासा हुआ है....यह खुलासा जर्मनी के उसी अखबार ने किया है जिसने 18 महीने पहले पनामा पेपर्स का खुलासा किया था.....पैराडाइज पेपर्स लीक में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं..... इस लिस्ट में 714 भारतीयों के नाम सामने आए हैं..... साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप,इंग्लैंड की रानी क्वीन एलिज़ाबेथ- 2 कई अन्य लोगो के नाम सामने आये.....
नोटबंदी की सालगिरह को ऐंटी ब्लैक मनी डे के तौर पर मनाए जाने से ठीक पहले ब्लैक मनी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है.....पनामा के बाद अब पैराडाइज पेपर्स लीक का खुलासा हुआ है....90 से ज्यादा मीडिया ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इंटरनैशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने 'पैराडाइज पेपर्स' नामक दस्तावेजों की छानबीन की है..... पैराडाइज पेपर्स में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं..... इस खुलासे के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है जो दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोगों का पैसा विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं.....पनामा की तरह ही कई भारतीयों के नाम शामिल है....
आईसीआईजे के भारतीय सहयोगी मीडिया संस्थान इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक..... इस लिस्ट में कुल 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं..... वहीं दुनिया भर की बात करें तो इस लिस्ट में कुल 180 देशों के नाम हैं..... इस लिस्ट में भारत 19वें नंबर पर है..... जिन दस्तावेजों की छानबीन की गई है, उनमें से ज्यादातर बरमूडा की लॉ फर्म ऐपलबाय के हैं..... 119 साल पुरानी यह कंपनी वकीलों, अकाउंटेंट्स, बैंकर्स और अन्य लोगों के नेटवर्क की एक सदस्य है..... इस नेटवर्क में वे लोग भी शामिल हैं जो अपने क्लाइंट्स के लिए विदेशों में कंपनियां सेट अप करते हैं और उनके बैंक अकाउंट्स को मैनेज करते हैं.....
इस खुलासे में जिस नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो वर्तमान में केंद्र सरकार में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा है..... राजनीति में आने से पहले ओमिड्यार नेटवर्क में साझीदारी को लेकर जयंत सिन्हा का नाम सामने आया है…बीजेपी के राज्यसभा सांसद और कारोबारी आरके सिन्हा की कंपनी एसआईएस सिक्यॉरिटीज का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है....इसके आलावा छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह , कांग्रेस नेता अशोक गहलोत , सचिन पायलट आदि के नाम शामिल है... अभिनेता अमिताभ बच्चन का भी नाम सामने आया है..... इस लिस्ट में अमिताभ बच्चन के बरमूडा में एक कंपनी में शेयर्स होने का भी खुलासा हुआ है..चौकाने वली बात यह रही कि पनामा पेपर लेका में भी अमिताभ बच्चन का नाम आया था... पैराडाइज पेपर्स लीक में अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त के पुराने नाम नाम दिलनशीं का भी जिक्र है.... एपलबाई के डाटाबेस में जिंदल स्टील, अपोलो टायर्स, हैवेल्स, हिंदुजा, एम्मार एमजीएफ, वीडियोकॉन, हीरानंदानी ग्रुप के साथ डीएस कंस्ट्रक्शंस का नाम भी है...
पैराडाइज पेपर्स में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अरबपति कॉमर्स सेक्रटरी विलबर रॉस और रूस के बीच संबंध, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के चीफ फंडरेज़र के खुफिया लेनदेन, ट्विटर और फेसबुक में रूसी कंपनियों के निवेश, इंग्लैंड की रानी क्वीन एलिज़ाबेथ- 2 के नाम सामने आया है….
विश्व प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में 180 देशों में भारत का स्थान 2016 के मुकाबले तीनस्थान स्थान नीचे गिर गया
Dated : 25 December 2017
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी 2017 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में 180 देशों में भारत का स्थान 2016 के मुकाबले तीनस्थान स्थान नीचे गिर गया है....... इसमें भारत को 136वां स्थान मिला है..... मुख्यधारा के मीडिया में "सेल्फ -सेंसरशिप" बढ़ने के कारण निराशाजनक प्रदर्शन हुआ.....जो पत्रकारिता के लिए मुश्किल परिस्थिति वाले देशों की श्रेणी है....अफ़ग़ानिस्तान भारत से बेहतर रैंकिंग पर है... आश्चर्य की बात है.... विश्व प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में 180 देशों में भारत तीन स्थानों पर फिसल गया है ....भारत साल 2017 में 136 वे स्थान पर आगया है.....पिछले साल 2016 में भारत 133 वे नंबर पर था.....भारत में प्रेस की आजादी की बाधाओं का जिक्र करते हुए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यहां हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा राष्ट्रीय बहसों में दखल देने की कोशिशें और मुख्यधारा के मीडिया में सेल्फ-सेंसरशिप में तेजी आई है..... इसके अलावा कट्टर राष्ट्रवादियों द्वारा पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार अभियान के मामले और उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकियों भी बढ़ी हैं..... रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लोकतांत्रिक देशों में सच्चाई से परे भावुक अपीलों, दुष्प्रचार और आजादी के दमन के समय में पहुंच चुके हैं.....लोकतांत्रिक देश सूची में लगातार नीचे खिसक रहे हैं जो अभूतपूर्व है......लेकिन उनमें इस गिरावट को रोकने की कोई कोशिश नहीं दिखाई देती......विश्व प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में अफ़ग़ानिस्तान भारत से आगे है...रैंकिंग में अफ़ग़ानिस्तान 120 वे स्थान पर है......अगर भारत के पडोसी देशो की बात करे तो भूटान और नेपाल 84 वें और 100 वां स्थान पर हैं....वही पाकिस्तान 139 वे और श्रीलंका 141वे स्थान पर है.... प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में नॉर्वे पहले और उत्तर कोरिया आखिरी स्थान पर है.....
18 अगस्त 2017 स्पेन के बार्सिलोना और कैम्ब्रिल्स में आतंकी हमला
Dated : 18 August 2017
18 अगस्त 2017 स्पेन के बार्सिलोना और कैम्ब्रिल्स में आतंकी हमला हुआ....... बार्सिलोना के सिटी सेंटर में आतंकियों की एक वैन ने कई लोगों को कुचल दिया..... इसमें 13 लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए.......... वहीं, दूसरा हमला बार्सिलोना से 100 किलोमीटर दूर कैम्ब्रिल्स में हुआ..... यहां एक कार ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर भागने की कोशिश की...... इस घटना में 1 पुलिसकर्मी सहित 7 लोग घायल हो गए..... हालांकि पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 4 आतंकियों को मार गिराया है.... वहीं, एक संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार कर लिया गया है...... इस हमले की हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएस ने ली है...... एक और आतंकी हमला अब वक़्त आगया है जब सभी देशो को एक मंच पर आकर आतंकवाद के खिलाफ मुहीम करनी चाहिए....
बराक ओबामा ने ग्लोबल एंटरप्रन्योरशिप समिट में भारत आने की इच्छा जाहिर की थी..... लेकिन भारत सरकार ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया....
Dated : 20 October 2017
नवंबर 2017 को 3 दिंवसीय ग्लोबल एंटरप्रन्योरशिप समिट हैदराबाद में हुआ .... लेकिन 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस समिट में भारत आने की इच्छा जाहिर की थी..... लेकिन भारत सरकार ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया बल्कि उनकी जगह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी इवांका ट्रम्प को आमंत्रित किया....28 नवंबर 2017 से तीन दिवसीय ग्लोबल एंटरप्रन्योरशिप समिट हैदराबाद में हुआ ...इस बार आयोजित होने वाला यह समिट इसका आठवां संस्करण है और भारत पहली बार इसकी मेजबानी करने जा रहा है......हैदराबाद में आयोजित ग्लोबल इकनॉमिक समिट में हिस्सा लिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी इवांका ट्रम्प भारत ने भारत आयी ......प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2017 में इवांका ट्रम्प से मुलाकात कर उन्हें भारत आने के न्यौता दिया....साथ ही टवीट कर भी उन्हें आमंत्रित किया था जिसके बाद इवांका ट्रम्प भी ट्वीट कर आमंत्रण को स्वीकारा.....लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जून 2016 में में ग्लोबल एंटरप्रन्योरशिप समिट में भारत आने की इच्छा ज़ाहिर की थी....उन्होंने कहा था कि ग्लोबल एंटरप्रन्योरशिप समिट में अगर भारत उन्हें आमंत्रित करता है तो वे ज़रूर भारत आएंगे.....लेकिन बराक ओबामा की भारत आने की इच्छा ज़ाहिर करने के बाद भी भी भारत सराकर ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया....वही बराक ओबामा भी भारत दौरे आये मगर वो ग्लोबल एंट्रेप्रेन्योरशिप समिट में नहीं... बल्कि ओबामा फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक टाउन हॉल में भाग लेने के लिए 1 दिसंबर 2017 को नई दिल्ली आये जहाँ वो युवाओं के साथ उन्होंने बातचीत की ... ग्लोबल एंट्रेप्रेन्योरशिप समिट की शुरुआत 2010 में हुई थी......पहली बार तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की अध्यक्षा में वाशिंगटन डीसी में ये समिट हुआ था.....जब बराक ओबामा राष्ट्रपति हुए करते थे तो ऐसी कई बातें सोशल मीडिया और मीडिया में कही गई कि प्रधामनट्री नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा के बीच गहरी दोस्ती है और प्रधानमंत्री उन्हें बराक कहकर सम्बोधित करते है.... तो बराक ओबामा के खुद बोलने के बाद भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया तो क्या हम यही समझे की उस वक़्त जो दोस्ती के कसीदे पड़े जाते थे वो सब झूठे थे ?
अनिल कुंबले : Jumbo
Dated : 17 October 2017
वे बाकि स्पिनरों से काफी अलग थे.... वे बॉल को कम घुमाव देते थे.... उनका भरोसा गति और लाइन पर अधिक रहा..... बोल को बाउंस कराने की उनकी कला और उसे सही दिशा में रखने की वजह से बल्लेबाज़ों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता....एक स्पिनर के तौर पर उनकी गेंद की गति काफी तेज होती थी ..... और इसीलिए उन्हें यानि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले को Jumbo भी बुलाया जाता है.... यह शब्द Jumbo जैट से लिया गया है..... कुंबले साल 1990 में भारतीय वनडे और टेस्ट टीम का हिस्सा बने...साल 1996 में वर्ल्डकप के लिए चुने गए और उस साल भारत के सबसे बेहतरीन बॉलर रहे....उन्होंने 7 मैच खेलकर 15 विकेट झटके....साल 1999 में दिल्ली में खेले गए इस टेस्ट मैच की दूसरी पारी में कुंबले ने पाकिस्तान के सभी खिलाडियों को आउट कर दस विकेट जटके...और इतिहास रच दिया... वे विश्व के केवल दूसरे ऐसे क्रिकेटर हैं जो ऐसा कर पाए.....2007 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने अपना एक मात्र टेस्ट शतक बनाया...वह एकमात्र ऐसे टेस्ट क्रिकेटर हैं जिन्होंने एक पारी में सभी दस विकेट लिए हैं और अपने करियर में टेस्ट शतक बनाया.... उन्हें 1995 में भारत सरकार की ओर से अर्जुन अवार्ड दिया गया...कुंबले को 2005 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया.....साल 2007 - 2008 में भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान भी रहे.... .18 साल खेलने के बाद कुंबले ने 2008 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की... 2012 में कुंबले अंतराष्ट्रीय क्रिकेट कांउसिल (आईसीसी) की क्रिकेट कमेटी के चेयरमैन बने.....2012 और 2015 के बीच कुंबले आईपीएल की टीमों रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और मुंबई इंडियंस के चीफ मेंटोर बने.... 2015 की फरवरी में, उन्हें आईसीसी के हॉल ऑफ फेम में जगह दी गई.....वह चौथे ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जो यह जगह पाने में सफल हुए हैं.... कुंबले ने अपने अंतराष्ट्रीय करियर में कुल 956 विकेट लिए... उन्होंने टेस्ट में 132 मैचों की 173 पारियों में 619 विकेट और वनडे में 271 मैचों की 265 पारियों में 337 विकेट लिए...वनडे और टेस्ट दोनों में ही कुंबले भारत की और से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ है... कुंबले टेस्ट क्रिकेट में के इतिहास में सबसे अधिक विकेट लिए तीसरे क्रिकेटर है... क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद अनिल कुंबले ने आईपीएल में रॉयल चैलेंजर बैंगलोर और मुम्बई इंडियंस के मेंटर की भूमिका निभाई... साथ ही साल 2016 में भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच नियुक्त किये गये...
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह : विशेष एसआईटी कोर्ट में पेश
Dated : 18 September 2017
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सोमवार केा नरोदा गाम दंगा मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी के गवाह के रूप में अहमदाबाद की विशेष एसआईटी कोर्ट में पेश हुए....अमित शाह ने कहा कि माया कोडनानी नरोदा गाम में नहीं थीं..... वह सुबह 8.30 बजे विधानसभा के अंदर थीं..... अमित शाह ने कहा कि वो सुबह 9:30 से 9:45 बजे तक सिविक अस्पताल में थे और उस वक्त उनकी मुलाकाता वहीं माया कोडनानी से हुई थी..... इससे पहले माया कोडनानी भी यही बात कह चुकी हैं..... इस मामले में अमित शाह को इसलिए गवाह के तौर पर पेश किया गया क्योंकि उस वक्त वे अहमदाबाद के विधायक थे….अहमदाबाद के नरोदा गाम का नरसंहार 2002 के नौ बड़े साम्प्रदायिक दंगों में एक है जिसमे 11 मुस्लिमों की हत्या हुई थी.........इस मामले में कुल 79 व्यक्तियों पर मुकदमा चल रहा है….. गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं कोडनानी को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था...... केस में कोर्ट पहले को पहले ही नरोदा दंगा मामले में 28 साल की सजा सुनायी जा चुकी है....लेकिन कोडनानी के खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जमानत पर रिहा हैं....... इस दंगे में 97 लोगों की जान गई थी....
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति
Dated : 15 October 2017
वे इस्लाम का पालन करते थे और हर रोज़ नमाज़ पढ़ा करते थे.... उनके एक हाँथ में कुरान और दूसरे में गीता हुआ करती थी ... वे हिंदू परंपराओं में अच्छी तरह के भी जानकर थे और उन्होंने संस्कृत सीखी..... उनके पिता एक मस्जिद के इमाम थे..... डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे..... उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया......उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.......और देश में परमाणु बम जैसे विनाशकारी हथियारों को बढ़ावा देने जैसे आरोप उनपर लगे...जिसको लेकर उनकी आलोचना भी हुई..... डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े और इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है......उन्होंने कई किताबेँ भी लिखी जिसमे विंग्स ऑफ़ फायर सबसे ज्यादा चर्चित रही...साल 1981 में पद्म भूषण और 1990 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था....... साल 1997 में उन्हें रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के वैज्ञानिक अनुसंधान और आधुनिकीकरण के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया....साल 2002 में वे सर्वसहमति से देश के राष्ट्रपति चुने गए..... 2015 संयुक्त राष्ट्र ने डॉ कलाम के जन्मदिन को "विश्व छात्र दिवस"World Student's Day के रूप में मान्यता दी..... तमिलनाडु के रामेश्वरम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा उनकी याद में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नेशनल मेमोरियल बनाया गया है...... तमिलनाडु राज्य सरकार ने घोषणा की कि उनका जन्मदिन 15 अक्टूबर को पूरे राज्य में "युवा पुनर्जागरण दिवस" Youth Renaissance Day के रूप में जाता है.... एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर विश्व की सबसे छोटी सेटीलाइट - कलामसाट- बनाई गई है..... जिसे 18 वर्षीय भारतीय द्वारा निर्मित किया गया है.......
सफ़र: सागर से एपीजे महासागर तक
Dated : 15 September 2016
जब मुझे यह बात समझ आ गयी कि मुझे आगे जाकर अब पत्रकारिता करना है और दिल्ली से ही करना है तो मैंने पता करना शुरू किया की कौन कौन से कॉलेज है और उनमे से सबसे बेहतर कौनसा है काफी जगह पता करने के बाद , लोगो से उनकी राय भी ली और इंटरनेट पर भी काफी खोजा और अंत में सारी चीज़ों और बातों की समीक्षा की तो पाया की Apeejay Institute Of Mass Communication (AIMC) सबसे बेहतर संस्थान है प्रत्रकारिता का तो मैंने ऑनलाइन फॉर्म भरा और कुछ दिनों बाद इंटरव्यू पास कर के टेलीविज़न एवं रेडियो प्रोडक्शन / जर्नलिज्म में दाखिला लिया.
यह खामोश्मिजाजी हमको जीने नहीं देगी इस कम्पटीशन के दौर में जीना है तो कुछ अनोखा करो यारो .
एक अलग ही ख़ामोशी लेकर अपने शहर सागर , मध्यप्रदेश से निकला था ,कालेजों के कम्पटीशन के दौर में बाज़ी Apeejay Institute Of Mass Communication ने मारी और अब कुछ अनोखा करने की मेरी बारी थी
20 जुलाई 2016 को एक अनोखे एवं अद्भुत सफ़र की शुरुआत हुई शुरू के एक सप्ताह तक ओरिएंटेशन प्रोग्राम चला जिसमे मीडिया जगत की कई सारी बड़ी बड़ी हस्तियाँ ने शिरकत की. जो बातें मैंने कॉलेज के बारे में सुनी थी उससे एक कदम आगे है ये कॉलेज और अब कोई भी संदेह नहीं था मेरे दिमाग में. इस एक सप्ताह में मुझे इस बात पर यकीन हो गया था कि मेरी पत्रकारिता की मजबूत नीव सिर्फ और सिर्फ यहीं राखी जा सकती है .
विविधताओं का देश है भारत वैसे ही विविधताओं का महासागर है Apeejay Institute Of Mass Communication क्योंकि देश के अलग अलग राज्यों से आये हुये सारे प्रतिभाशाली छात्रों का समावेश है यह Apeejay परिवार. और इसी कारण मुझे हमारे देश की अलग अलग राज्यों की संस्कृति , भाषा और तौर तरीके के बारे में जानने का मौका मिला जिसके लिए में हमेशा कॉलेज का आभारी रहूँगा क्योंकि वैसे मैं कभी भी इतना कुछ अपने देश की बारे में नहीं जान पाता जो मुझे जानने का मौका यहाँ मिला.
चलिए अब बात करते है कॉलेज के माहोल के बारे तो बताना चाहूँगा की AIMC एक संस्थान नहीं बल्कि एक परिवार है क्योंकि यहाँ के शिक्षक गण जो है वो गुरु होने के साथ – साथ एक मित्र की तरह हर छात्र की परेशानी समझ कर उनका समाधान भी करते है. और सबसे अच्छी बात है की हर एक छात्र की पढाई - लिखाई के साथ साथ एक बहुत बारीक नज़र सभी की उपस्तिथि (Attendance) पर होती है ताकि किसी का भी नुकसान नहीं हो, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि अक्सर ऐसा देखने बहुत कम होता है की छात्रों से जादा उपस्तिथि की फ़िक्र कॉलेज प्रबंधन हो है.
AIMC की सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि फीस मैंने एक कोर्स की दी है पर मुझे यहाँ तीन और कोर्स के बारे में भी पढाया जा रहा है . मैं यहाँ पत्रकारिता ( जर्नलिज्म ) और राजनैतिक पत्रकार बनने के लिए आया था और मेरा पूरा ध्यान उसी तरफ था . पर यहाँ मुझे बार बार प्रेरित किया गया की मुझे सारे काम सीखने चाहिए और कहा गया कि हो सकता है सीखने की कोशिश में मेरे अन्दर के कुछ छुपे हुए पहलु या प्रतिभा के बारे में मुझे पता चले और ऐसा हुआ भी. इसी कोशिश के दौरान मुझे प्रोडक्शन के बारे में सीखना मिला. शुरुआत में मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन धीरे – धीरे मेरा झुकाव प्रोडक्शन की तरफ हुआ . यहाँ मैंने साथिओं के साथ खुद फिल्म बनाना सीखा और कुछ फिल्में बनाई भी , यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है क्योंकि जिस लड़के को सिर्फ राजनीति से जुडी हुयी बातों और मुद्दों से मतलब था अब उसे प्रोडक्शन में भी दिलचस्पी है .
आज मेरे अन्दर काफी बदलाव आये है , जिसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ AIMC के प्रबंधन को जाता है जिन्होंने मेरे अन्दर फिल्म के प्रोडक्शन करने की क्षमता को पहचाने में मेरी मदद की . अगर कही और दाखिला लेता तो शायद ज़िन्दगी भर सिर्फ यही सोचता की पत्रकारिता के आलावा कुछ नहीं कर सकता इसिलए मैं कहता हूँ AIMC एक महासागर की तरह है मेरे लिए .
यही है मेरा सफ़र मेरे शहर सागर से एपीजे महासागर तक.
यह खामोश्मिजाजी हमको जीने नहीं देगी इस कम्पटीशन के दौर में जीना है तो कुछ अनोखा करो यारो .
एक अलग ही ख़ामोशी लेकर अपने शहर सागर , मध्यप्रदेश से निकला था ,कालेजों के कम्पटीशन के दौर में बाज़ी Apeejay Institute Of Mass Communication ने मारी और अब कुछ अनोखा करने की मेरी बारी थी
20 जुलाई 2016 को एक अनोखे एवं अद्भुत सफ़र की शुरुआत हुई शुरू के एक सप्ताह तक ओरिएंटेशन प्रोग्राम चला जिसमे मीडिया जगत की कई सारी बड़ी बड़ी हस्तियाँ ने शिरकत की. जो बातें मैंने कॉलेज के बारे में सुनी थी उससे एक कदम आगे है ये कॉलेज और अब कोई भी संदेह नहीं था मेरे दिमाग में. इस एक सप्ताह में मुझे इस बात पर यकीन हो गया था कि मेरी पत्रकारिता की मजबूत नीव सिर्फ और सिर्फ यहीं राखी जा सकती है .
विविधताओं का देश है भारत वैसे ही विविधताओं का महासागर है Apeejay Institute Of Mass Communication क्योंकि देश के अलग अलग राज्यों से आये हुये सारे प्रतिभाशाली छात्रों का समावेश है यह Apeejay परिवार. और इसी कारण मुझे हमारे देश की अलग अलग राज्यों की संस्कृति , भाषा और तौर तरीके के बारे में जानने का मौका मिला जिसके लिए में हमेशा कॉलेज का आभारी रहूँगा क्योंकि वैसे मैं कभी भी इतना कुछ अपने देश की बारे में नहीं जान पाता जो मुझे जानने का मौका यहाँ मिला.
चलिए अब बात करते है कॉलेज के माहोल के बारे तो बताना चाहूँगा की AIMC एक संस्थान नहीं बल्कि एक परिवार है क्योंकि यहाँ के शिक्षक गण जो है वो गुरु होने के साथ – साथ एक मित्र की तरह हर छात्र की परेशानी समझ कर उनका समाधान भी करते है. और सबसे अच्छी बात है की हर एक छात्र की पढाई - लिखाई के साथ साथ एक बहुत बारीक नज़र सभी की उपस्तिथि (Attendance) पर होती है ताकि किसी का भी नुकसान नहीं हो, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि अक्सर ऐसा देखने बहुत कम होता है की छात्रों से जादा उपस्तिथि की फ़िक्र कॉलेज प्रबंधन हो है.
AIMC की सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि फीस मैंने एक कोर्स की दी है पर मुझे यहाँ तीन और कोर्स के बारे में भी पढाया जा रहा है . मैं यहाँ पत्रकारिता ( जर्नलिज्म ) और राजनैतिक पत्रकार बनने के लिए आया था और मेरा पूरा ध्यान उसी तरफ था . पर यहाँ मुझे बार बार प्रेरित किया गया की मुझे सारे काम सीखने चाहिए और कहा गया कि हो सकता है सीखने की कोशिश में मेरे अन्दर के कुछ छुपे हुए पहलु या प्रतिभा के बारे में मुझे पता चले और ऐसा हुआ भी. इसी कोशिश के दौरान मुझे प्रोडक्शन के बारे में सीखना मिला. शुरुआत में मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन धीरे – धीरे मेरा झुकाव प्रोडक्शन की तरफ हुआ . यहाँ मैंने साथिओं के साथ खुद फिल्म बनाना सीखा और कुछ फिल्में बनाई भी , यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है क्योंकि जिस लड़के को सिर्फ राजनीति से जुडी हुयी बातों और मुद्दों से मतलब था अब उसे प्रोडक्शन में भी दिलचस्पी है .
आज मेरे अन्दर काफी बदलाव आये है , जिसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ AIMC के प्रबंधन को जाता है जिन्होंने मेरे अन्दर फिल्म के प्रोडक्शन करने की क्षमता को पहचाने में मेरी मदद की . अगर कही और दाखिला लेता तो शायद ज़िन्दगी भर सिर्फ यही सोचता की पत्रकारिता के आलावा कुछ नहीं कर सकता इसिलए मैं कहता हूँ AIMC एक महासागर की तरह है मेरे लिए .
यही है मेरा सफ़र मेरे शहर सागर से एपीजे महासागर तक.
New Wave of Indian Cinema
Dated : 21 July 2016
Though "New Indian Cinema" is not a precise nor a particularly illuminating term, it points to trajectories in Indian cinema that are identified with the emergence of a certain aesthetic sensibility, a new style of film-making.
Some would trace the beginnings of the 'New Indian Cinema' to Satyajit Ray and his legendary trilogy of the Apu films, which originated with Pather Panchali (Song of the Road) in 1955. Though socially-conscious movies were made by such directors as Bimal Roy and V. Shantaram before Pather Panchali and the element of neo-realism predominated, they nonetheless did not signify any radical departure from the mainstream Indian cinema. Pather Panchali, on the other hand, changed the way the whole world looked at Indian films.
Unlike the popular cinema, the New Indian cinema is almost always concerned with the common man. The heroes are not supermen with extraordinary ambition, who have to rise from poverty, tame the rich girl and fight the evil landlord, but ordinary men and women acting under the pressures of ordinary living. It is a form of individualization as the characters no longer have to represent icons of society like the "suffering wife" or the "evil mother-in-law". This also explains why the form of these films is usually neo-realistic, though there is a great variety in the films of different directors.
Legends Like Shyam Benegal started as a neo-realistic humanist, and attacked the feudal and caste relationships that form an integral part of Indian culture & Mrinal Sen Director who had a profound effect on the New Indian cinema.
While watching films like ‘Dhobi Ghat’, ‘The Lunchbox’, the audience is very much made aware that the lights, sounds, rhythms, and patterns bombarding their senses are tools in the hands of the makers. Kiran Rao told an entire story using talking heads recorded by the subject on a handycam in ‘Dhobi Ghat’ .
People Like Anurag Kashyap who has managed to channelize mainstream audiences towards taking a keen interest in this genre of cinema. Movies like “Black Friday”, “Gangs of Wasseypur”, Also Movies Like Moteher India, Lagan, Black, A Wednesday, Gulal, Baarfi, P.K, Masaan, 3 Idiots and many More. So From Ardeshir Irani’s Alam Ara To Kabir Khan’s Bajrangi Bhaijaan movies which have evolved the new wave of Indian cinema into mainstream.
It is important to give the director full control of what he wants to create and how he wants to create it. More often than not, most directors fail to stick to their individual style of narration or compromise with their theme because of the exceeding pressure producers put on them. One doesn’t always have to create something extraordinarily genius, but it is more important to create something individual and rare
Fair Recommendations By Lodha Committee
India Is Country were Cricket Is Termed As A Religion So To Keep It Fair Justice Lodha Committee Came With Fantastic Recommendations For BCCI (Board Of Control For Cricket In India).Its Been A Very Long Time Since Politicians Have Ruled Over The Cricket Associations & BCCI.But It Is High Time That This System Lead By Politicians Should Be Rejuvenated To Make The Game Fairer.
BCCI Should Be Under The Ambit Of RTI : Is The Most Essential Change Which Should Be Brought Into BCCI.Way In Which The Mechanism Has Been Of BCCI Is Questionable i.e. Allocation Of Funds To Different State Associations.What Is The Basis Of Selection Of Players, Who All Will Be The SelectOrs etc.
Dated : 11 January 2016
One Man One Post : The Most Controversial Issue This Has Been From In The Past.People Like Anurag Thakur Who Are On Multiple Post Will Be In A Spot On Bother If This Rule Applies.As He Is The Chairman Of HPCA (Himachal Pradesh Cricket Association) & Also Is The President Of BCCI.So He Will Have Resign From His Post,Which Indeed Is A Welcome Step By Lodha Committee.
Politicians Should Be Out Of BCCI :To Make Cricket Fairer The Politicians Should Be Kept Aside But Currently The Cricket Associations Are Dominated By Politicians In Different States.MP From INC Former Union Minister Jyotiraditya Scinida Is Chairman Of MPCA,Amit Shah President Of Bhartiya Janata Party Is of GJCA, MP From BJP Unoin Minster Arun Jaitley Was Chairman Of DDCA etc Are Influential Leaders Who Are Representatives Of Different Association. Politicians Do Influence The Selection Of Players,Coachs,Team Management Etc,So To Keep Cricket Clean Politicians Should Be Kept Aside.
One State One Vote : There Are Many State Who Enjoy Voting Rights And Which Can Influence The Results.States Like Maharashtra, West Bengal & Gujrat Have 3–3 Cricket Association Within One State.Gujrat Has 3 Association i.e.Gujrat,Saurashtra & Baroda Who Enjoy Voting Rights Being A Single State Have 3 Votes Whereas Others Have Only Single Vote,Which Is Not Fair For Others.This Recommendation Is Very Important From The Perspective Of Fair Play.
Betting Should Be Legalised : Justice Lodha Committee Recommend That Betting Should Be Legalised With Some Rules & Exceptions i.e. Licensing Should Be Done.The Reason Behind This Is That Betting Will Generate Revenue For The Government & Illegal Betting Will Be Controlled To A Certain Extent.
BCCI Should Be Govern By Independent Body: Justice Lodha Committee Recommend That There Should A CEO & BCCI Has Appointed Rahul Johri.He Is The First CEO Of The BCCI.Apart From CEO,Lodha Committee Recommend That 6 Professional Manager Which Will Be For The Smooth Working Of BCCI.The Only Reason Behind Is That Authority & Responsibility Should Be Fixed.If There Ia Any Issues Regarding Any Department So The Manager Of That Particular Department Will Be Accountable For That.
Conclusion:
Many More Recommendations Were Made By Justice Lodha Committee Separate Bodies / Governing Council For IPL & BCCI,formation Of Players Association etc Which All Are Very Genuine. BCCI Must Accept All These Recommendations Because So As To Make Cricket Clean/Fair & Cricket Associations BCCI Must Welcome These Recommendations
BCCI Should Be Under The Ambit Of RTI : Is The Most Essential Change Which Should Be Brought Into BCCI.Way In Which The Mechanism Has Been Of BCCI Is Questionable i.e. Allocation Of Funds To Different State Associations.What Is The Basis Of Selection Of Players, Who All Will Be The SelectOrs etc.
Dated : 11 January 2016
One Man One Post : The Most Controversial Issue This Has Been From In The Past.People Like Anurag Thakur Who Are On Multiple Post Will Be In A Spot On Bother If This Rule Applies.As He Is The Chairman Of HPCA (Himachal Pradesh Cricket Association) & Also Is The President Of BCCI.So He Will Have Resign From His Post,Which Indeed Is A Welcome Step By Lodha Committee.
Politicians Should Be Out Of BCCI :To Make Cricket Fairer The Politicians Should Be Kept Aside But Currently The Cricket Associations Are Dominated By Politicians In Different States.MP From INC Former Union Minister Jyotiraditya Scinida Is Chairman Of MPCA,Amit Shah President Of Bhartiya Janata Party Is of GJCA, MP From BJP Unoin Minster Arun Jaitley Was Chairman Of DDCA etc Are Influential Leaders Who Are Representatives Of Different Association. Politicians Do Influence The Selection Of Players,Coachs,Team Management Etc,So To Keep Cricket Clean Politicians Should Be Kept Aside.
One State One Vote : There Are Many State Who Enjoy Voting Rights And Which Can Influence The Results.States Like Maharashtra, West Bengal & Gujrat Have 3–3 Cricket Association Within One State.Gujrat Has 3 Association i.e.Gujrat,Saurashtra & Baroda Who Enjoy Voting Rights Being A Single State Have 3 Votes Whereas Others Have Only Single Vote,Which Is Not Fair For Others.This Recommendation Is Very Important From The Perspective Of Fair Play.
Betting Should Be Legalised : Justice Lodha Committee Recommend That Betting Should Be Legalised With Some Rules & Exceptions i.e. Licensing Should Be Done.The Reason Behind This Is That Betting Will Generate Revenue For The Government & Illegal Betting Will Be Controlled To A Certain Extent.
BCCI Should Be Govern By Independent Body: Justice Lodha Committee Recommend That There Should A CEO & BCCI Has Appointed Rahul Johri.He Is The First CEO Of The BCCI.Apart From CEO,Lodha Committee Recommend That 6 Professional Manager Which Will Be For The Smooth Working Of BCCI.The Only Reason Behind Is That Authority & Responsibility Should Be Fixed.If There Ia Any Issues Regarding Any Department So The Manager Of That Particular Department Will Be Accountable For That.
Conclusion:
Many More Recommendations Were Made By Justice Lodha Committee Separate Bodies / Governing Council For IPL & BCCI,formation Of Players Association etc Which All Are Very Genuine. BCCI Must Accept All These Recommendations Because So As To Make Cricket Clean/Fair & Cricket Associations BCCI Must Welcome These Recommendations
Pathankot Terrorist Attack : Again A Setback To India
Dated : 10 January 2016
Improvement in the relations between India And Pakistan were an indication after Pakistan's Prime Minister Nawaz Sharif accepted the invitation and visited India during Swearing-In-Ceremony of Prime Minister Narendra Modi.Indo-Pak relations today faces a dual track challenges that it has not yet faced,back to back two terrorist attack one last year June 2015 i.e. Gurdaspur attack and now Pathankot attack January 2016.
Surprise Visit Resulted In Terrorist Attack :
P.M.Modi made a positive move to accelerate the pace of the engagement with a surprise visit to Lahore,Pakistan on 26 December 2015.This visit rejuvenated the relations between both the countries,also Foreign Secretary level talks were scheduled to be held in January 2016.
Barely a week after PM Modi's surprise visit to Pakistan resulted in an terrorist attack at Pathankot airbase,which was staged by Pakistan's radical group Jaish-E-Mohammad.Indian government urged Pakistan for a fair and quick investigation.On the proposal for an National Investigation Agency (NIA) team's visit to Pakistan, the Joint Investigation Team (JIT) welcomed it.This was the first time Indian government allowed Pakistani investigators to probe a terror attack in India.
Blame Game Started Between Security Agencies :
Soon after the JIT probe was complete a blame game started between the security agencies of Indian and Pakistan.Pakistan High Commissioner Abdul Basit's remarks that "Indian government has not allowed true and fair probe,as a result of which Foreign Secretary level talks has been suspended".Also a bizarre report of Pakistan today revealed that "attack was a drama staged by India to malign Pakistan and Indian authorities did not corporate with Pakistan's investigation team.This created a buzz across media but no such remarks of the news/report being authentic was made by Pakistan Foreign Ministry.
Conclusion :
Now very much depends upon Pakistan that how they initiate the peace talks.There are many positives to take out as the Indo-Pak relations are somehow approaching towards the right directions,As this was the first time Indian government allowed Pakistani investigators to probe a terror attack in India and negotiations are the best means to resolve the issues.
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