Dated : 11 January 2018
वे आज़ाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे...उनके शासनकाल में 1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में करारी शिकस्त दी....उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया....पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री...साल 1965 में उन्होंने एक नारा दिया था जय जवान जय किसान आज उनकी 51 वी पुण्यतिथि है...और 51 साल के बाद भी देश में किसान की हालत बहुत ही ख़राब है और वह आत्महत्या करने पर मजबूर है....
एक समय पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था.....उन्होंने इस नारे के जरिये समाज में वह एक संदेश पहुंचाना चाहते थे कि किसान और जवान देश की दशा और दिशा तय करते हैं..... अगर ये नहीं होंगे तो देश की हालत बिगड़ जाएगी..... जहां जवान देश की रक्षा करता है, वहीं किसान खेती के जरिये देश को अनाज देता है.....वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है लेकिन आज हम जब जय किसान का नारा सुनते हैं तो कुछ अजीब सा लगता है.....आज किसान की जय नहीं बल्कि पराजय हो रहा रही है..... किसान भूखा, आर्थिक और मानसिक रूप कमजोर हो रहा है..... फसल बर्बाद होने और कर्ज बड़े की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं..... भारत में किसानो की आत्महत्या के आंकड़ों की बता करे तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी (NCRB) की रिपोर्ट ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया यानी ADSI के अनुसार साल 2013 में 11,772 किसानो ने अत्यंहत्या की , 2014 में 12,360 किसानो ने अत्यंहत्या की , साल 2015 में 12,602 किसानो ने अत्यंहत्या की....वही अगर हम बात करे साल 2016 में 6867 किसानो ने किसानो ने अत्यंहत्या की जो की केवल 5 राज्यों के आंकड़े है जिसमे महाराष्ट्रा , मध्यप्रदेश ,तमिलनाडु , कर्नाटका और तेलंगाना के है...ये आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है....कुल मिलाकर साल 2013 से 2016 के बीच 43,603 किसानो आत्महत्या करली जो की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है....यह आंकड़ा महास 4 साल के है...... सरकारी योजनाएं फेल हो रही है...आज फसल बीमा, फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धता सरकार को सुनिश्चित करनी होगी और शायद तभी जवानों के साथ साथ किसानो की भी जय होगी..... और वही पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि होगी....जय जवान जय किसान....
एक समय पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था.....उन्होंने इस नारे के जरिये समाज में वह एक संदेश पहुंचाना चाहते थे कि किसान और जवान देश की दशा और दिशा तय करते हैं..... अगर ये नहीं होंगे तो देश की हालत बिगड़ जाएगी..... जहां जवान देश की रक्षा करता है, वहीं किसान खेती के जरिये देश को अनाज देता है.....वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश कहा जाता है लेकिन आज हम जब जय किसान का नारा सुनते हैं तो कुछ अजीब सा लगता है.....आज किसान की जय नहीं बल्कि पराजय हो रहा रही है..... किसान भूखा, आर्थिक और मानसिक रूप कमजोर हो रहा है..... फसल बर्बाद होने और कर्ज बड़े की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं..... भारत में किसानो की आत्महत्या के आंकड़ों की बता करे तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी (NCRB) की रिपोर्ट ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया यानी ADSI के अनुसार साल 2013 में 11,772 किसानो ने अत्यंहत्या की , 2014 में 12,360 किसानो ने अत्यंहत्या की , साल 2015 में 12,602 किसानो ने अत्यंहत्या की....वही अगर हम बात करे साल 2016 में 6867 किसानो ने किसानो ने अत्यंहत्या की जो की केवल 5 राज्यों के आंकड़े है जिसमे महाराष्ट्रा , मध्यप्रदेश ,तमिलनाडु , कर्नाटका और तेलंगाना के है...ये आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर है....कुल मिलाकर साल 2013 से 2016 के बीच 43,603 किसानो आत्महत्या करली जो की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है....यह आंकड़ा महास 4 साल के है...... सरकारी योजनाएं फेल हो रही है...आज फसल बीमा, फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धता सरकार को सुनिश्चित करनी होगी और शायद तभी जवानों के साथ साथ किसानो की भी जय होगी..... और वही पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि होगी....जय जवान जय किसान....
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