Dated : 27 February 2018
Ankush Choubey
Monday, 26 February 2018
Voting In Meghalaya & Nagaland
Saturday, 24 February 2018
उपचुनाव बने बीजेपी के लिए सिरदर्द
Dated : 24 February 2018
2014 आम चुनाव में 282 सीट जीतकर आई बीजेपी के पास अब लोकसभा में स्पीकर समेत 273 सीटें ही बची हैं… इसलिए आने वाले लोकसभा उपचुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गये हैं… अब अगर दो और लोकसभा उपचुनाव बीजेपी हार जाएगी तो वो लोकसभा में उसके अकेले के पास पूर्ण बहुमत नहीं रहेगा… 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आयी थी तो उसके पास बहुमत के अकड़े से 10 सीटें ज्यादा थी.... मगर उस बाद हुए कई उपचुनाव में पार्टी को हर का समाना करना पड़ा... मगर वर्त्तमान स्तिथि की बात करे तो बीजेपी के पास लोकसभा में 273 सांसद है जिसमे लोकसभा की स्पीकर भी शामिल है... बीजेपी के हारने का सिलसिला मध्यप्रदेश से हुआ.... साल 2015 रतलाम से बीजेपी सांसद दिलीपसिंह भूरिया की मौत के बाद उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत दर्ज की... साल 2017 में पंजाब के गुरदासपुर से बीजेपी सांसद और अभिनेता विनोद खन्ना की मौत के बाद उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के सुनील कुमार झाखड़ ने जीत दर्ज की...हाल ही में हुए राजस्थान के अजमेर और अलवर में उपचुनाव हुए ये दोनों सीटें भी कांग्रेस ने बीजेपी से छीन लीं…. इसी बीच महाराष्ट्र से पालघर लोकसभा से बीजेपी सांसद चिंतामन वंगा और यूपी के कैराना से बीजेपी संसाद हुकुम सिंह की मौत के बाद भी ये दोनों सीटें ख़ाली हो गई.. महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद नाना पटोले बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होगये... इसके आलावा यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की लोकसभा सीट गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री बनने के बाद केशवप्रसाद मौर्या की फूलपूर सीट खाली हो चुकी है..इन दोनो सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव होना है.... 2014 में इन सभी सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा था जिनमे से 4 कांग्रेस के खाते में चली गयी और बाकि 5 सीट अभी खाली है.... बीजेपी की परेशानी का सबब ये भी है कि उसके सहयोगी दल नाराज़ चल रहे है.. TDP और शिवसेना की नाराज़गी जग ज़ाहिर है… इधर ख़बर ये भी है कि अकाली दल के रिश्ते भी बीजेपी से अच्छे नहीं चल रहे…. विधानसभा उपचुनाव को भी बीजेपी ने नाक का सवाल बना लिया है… आज मध्यप्रदेश की दो विधानसभा सीट कोलारस और मुंगावली पर उपचुनाव के लिए वोट डाले गये .... ये दोनों ही सीटें कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकसभा सीट गुना में आती है और इसीलिए यह उपचुनाव उनकी साख की लड़ाई बना हुआ है... कांग्रेस इस बात को लेकर आशवस्त है की वो ये दोनों सीट आसानी से जीत जाएगी..पहले भी यह दोनों सीट कांग्रेस के पास ही थी...वही दूसरी ओर बीजेपी और सीएम शिवराजसिंह चौहान के लिए यह चुनाव सिरदर्द का कारन बना हुआ है..क् योंकि कुछ समय पहले चित्रकूट में हुए उपचुनाव बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था.... दोनों ही पार्टियों ने ये उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है… ये सच है कि इस हार-जीत से मध्य प्रदेश सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला…. मगर इसी साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये उपचुनाव काफ़ी महत्वपूर्ण हो गया है….
नागालैंड में पिछले 54 साल में 12 विधानसभा चुनाव... लेकिन आज तक एक भी महिला विधायक नहीं बनी...
Dated : 24 February 2018
नागालैंड देश की अकेली ऐसी विधानसभा है जहाँ आज तक एक भी महिला विधायक नहीं बनी है...इस महीने के अंत में नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने है...और इस बार नागालैंड में 195 उम्मीदवार मैदान में है जिनमें से सिर्फ पाँच महिला उम्मीदवार है..... नागालैंड में पिछले 54 साल में 12 विधानसभा चुनाव हो चुके है...लेकिन 60 सदस्यों वाली इस विधानसभा में कभी एक भी महिला विधायक जीतकर नहीं पहुंची….27 फ़रवरी को नागालैंड में विधानसभा चुनाव के लिए वोट जाने है.... इस बार चुनाव में 195 उम्मीदवार मैदान है...जिसमे से महज़ 5 महिला उम्मीदवार है.....जिसमे नेशनल पीपल्स पार्टी ने 2 . भारतीय जनता पार्टी और नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने एक - एक और एक निर्दलीय महिला उम्मीदवार है... कुलमिलाकर 256 नामांकन दाखिल किये गए....जिसमे से 32 ने अपना नामांकन वापस ले लिया जबकि 29 के नामांकन रद्द हो गये…. अब 27 फरवरी को 60 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए 195 नामांकन भरे गए है... सत्तारूढ़ नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 58 सीट , जेडी (यू) 13 पर , नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 25, एनसीपी 6 पर , आमदमी पार्टी 3 पर , दो सीटों पर एलजेपी और 11 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है..... बीजेपी ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन किया है....बीजेपी 20 और NDPP 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.... गठबंधन का नेतृत्व नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सासंद नीफ्यू कर रहे हैं.. नीफ्यू रियो 2018 विधानसभा के लिए निर्विरोध चुने गये…. उधर कांग्रेस के अब 18 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं.... कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान में अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रत्याशियों का समर्थन करें..... नागालैंड में पिछले 15 साल से नागा peoples front की सरकार है.....बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही यहाँ पर सत्ता में आना आसान भी नहीं होगा... वही सत्ताधारी पार्टी नागा peoples front के लिए भी 15 साल की एंटी इंकम्बेंसी का सामना करने की चुनौती होगी...
Sunday, 18 February 2018
आज त्रिपुरा में वोटिंग...सीपीआईएम की स्तिथि मजबूत...
Dated : 18 February 2018
आखिर 18 फरवरी आगई आज त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने है.. यहां पिछले 25 साल से सीपीआईएम की सरकार है… इस बार बीजेपी के एजेंडे में त्रिपुरा सबसे ऊपर है…. लेकिन 25 साल की एन्टीइन्कम्बेंसी होने के बावजूद त्रिपुरा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए सीपीआईएम को हराना आसान नहीं है.... पिछले चुनाव में त्रिपुरा में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और सीपीआईएम के बीच रहा था.....लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में यह त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है......त्रिपुरा विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है..... कांग्रेस इसे बड़ी चुनौती के रूप में देख रही है....इस बार कांग्रेस ने 56 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं..... कांग्रेस और सीपीआईएम के अलावा बीजेपी ने भी त्रिपुरा की कुर्सी हथियाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है... बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रचार का प्रमुख चेहरा रखा है…. लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री के कद के सामने बीजेपी का कोई दूसरा नेता टिक नहीं पा रहा….. बीजेपी वोट बटोरने के लिए त्रिपुरा में हिंदुत्व कार्ड खेल रही है… त्रिपुरा में पिछले 25 साल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआईएम की सरकार है… पिछले चुनाव में सीपीआईएम और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई थी जिसमें कांग्रेस के हाथ 60 में से सिर्फ़ दस सीटें लगी थीं… बाकी की उनचास सीटों पर सीपीआईएम और एक सीट पर सीपीआई ने जीत हासिल की थी… कांग्रेस के 6 विधायक बाद में तृणमूल कांग्रेस में और फिर बीजेपी में शामिल हो गये…इस तरह बीजेपी की एंट्री त्रिपुरा विधानसभा में हो तो गई…मगर उसने अभी तक राज्य में एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीता है… ये विधानसभा चुनाव उसकी असली परीक्षा हैं…राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व वाली सीपीआईएम सरकार के त्रिपुरा में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने और Armed Forces Special Powers Act को हटाने से त्रिपुरा की जनता काफी खुश है और पार्टी को इसका चुनाव में बेहद फ़ायदा मिल सकता है..... देश के 31 मुख्यमंत्रियों पर हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने नेशनल इलेक्शन वाच के साथ मिलकर एक रिपोर्ट जारी की.... रिपोर्ट के मुताबिक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं जिनकी कुल 26 लाख रुपये की संपत्ति है.. इस सम्पत्ति में बीस लाख से ज़्यादा उनकी पत्नी को रिटायरमेंट के बाद मिला पीएफ़ का पैसा है .माणिक सरकार पिछले 20 सालों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं वे पहली बार साल 1998 में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने थे..इस बार के विधानसभा चुनाव में भी सीपीआईएम की स्तिथि काफी मजबूत नज़र आरही है... सीपीआईएम पिछले 25 साल से सत्ता में काबिज़ है और 25 साल एंटी इंकम्बेंसी होने बावजूद भी सीपीआईएम को हराना कांग्रेस और बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर होगा….
Thursday, 15 February 2018
Nagaland Poll
Dated : 13th February 2018
इस महीने के अंत में नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने है... हाल ही में नागालैंड में हुई सर्वदलीय बैठक में सत्ताधारी नागा पीपल्स फ्रंट, बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों ने नगालैंड विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा थी...और नामांकन दाखिल न करने की बात कही थी...मगर फिर बीजेपी और उसके बाद NPF ne ये समझौता तोड़ते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया… 29 जनवरी को सर्वदलीय बैठक में नागा समस्या के समाधान की मांग को लेकर विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की थी....29 जनवरी को हुई बैठक के समझौते पर कुल 11 पार्टियों ने दस्तखत किए थे.... इसमें सत्ताधारी पार्टी एनपीएफ और बीजेपी भी शामिल थी ..... सभी पार्टियों ने यह अपील की थी कि कोई भी उम्मीदवार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन न भरे... लेकिन नामांकन की आख़िरी तारीख़ से एक दिन पहले बीजेपी ने समझौता तोड़ते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया… बीजेपी के बाद सत्तारूढ़ NPF भी मैदान में आ गया… इसके बाद तो सभी पार्टियों ने चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया… कुलमिलाकर 256 नामांकन दाखिल किये गए....जिसमे से 32 ने अपना नामांकन वापस ले लिया जबकि 29 के नामांकन रद्द हो गये…. अब 27 फरवरी को 60 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए 195 नामांकन भरे गए है... सत्तारूढ़ नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 58 सीट , जेडी (यू) 13 पर , नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 25, एनसीपी 6 पर , आमदमी पार्टी 3 पर , दो सीटों पर एलजेपी और 11 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है..... बीजेपी ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन किया है....बीजेपी 20 और NDPP 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.... गठबंधन का नेतृत्व नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सासंद नीफ्यू कर रहे हैं.. नीफ्यू रियो 2018 विधानसभा के लिए निर्विरोध चुने गये…. कांग्रेस के अब 18 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं.... कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान में अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रत्याशियों का समर्थन करें..... नागालैंड में पिछले 15 साल से नागा पीपल्स फ्रंट की सरकार है.....बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही यहाँ पर सत्ता में आना आसान भी नहीं होगा... वही सत्ता धारी पार्टी नागा पीपल्स फ्रंट के लिए भी 15 साल की एंटी इंकम्बेंसी का सामना करने की चुनौती होगी...
Remembering Dr.Zakir Husain
Dated : 08 February 2018
डॉ ज़ाकिर हुसैन आज़ाद भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। साल 1948 में जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया। 1956 में राज्यसभा के अध्यक्ष चुने गये । लेकिन एक वर्ष बाद 1957 में बिहार के गवर्नर नियुक्त हुए और उन्होंने राज्यसभा की सदस्या त्याग दी।1962 में वे देश के उपराष्ट्रपति निवाचित हुए। 13 मई 1967 में भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने और देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया। वे राष्ट्रपति जैसे उच्च पद तक वे अपनी योग्यता और प्रतिभा से पहुंचे थे। डॉ ज़ाकिर हुसैन भारत में शिक्षा सुधर को लेकर हमेशा तत्पर रहे। अपनी अध्यक्षता में उन्होंने विश्वविद्यायल शिक्षा आयोग को शिक्षा का स्तर बढ़ाने के उदेश्य से गठित किया। उन्होंने दिल्ली के करोल बाघ में एक Secular शिक्षा संस्थान की नीव राखी और 1 मार्च 1935 को दिल्ली के जामिया नगर में स्थापित किया गया। जिसका बाद में नाम जामिया यूनिवर्सिटी पड़ा।साल 1954 में पद्मविभूषण से और साल 1963 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 3 मई 1969 में उनका देहांत होगया। वे पहले राष्ट्रपति थे जिनके कार्यकाल के दौरान उनकी मौत होगई जिसके बाद उन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में ही दफनाया गया था। डॉ ज़ाकिर हुसैन को भारतीय राजनिती और शिक्षा के छेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जायेगा।
Monday, 5 February 2018
त्रिपुरा और मेघालय विधानसभा चुनाव
Dated : 5 February 2018
साल 2018 के लिए त्रिपुरा बीजेपी के एजेंडे में सबसे ऊपर है…. त्रिपुरा में पिछले 24 साल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआईएम की सरकार है… पिछले चुनाव में सीपीआईएम और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई थी जिसमें कांग्रेस के हाथ 60 में से सिर्फ़ दस सीटें लगी थीं… बाकी की पचास सीटों पर सीपीआईएम ने जीत हासिल की थी… कांग्रेस के 7 विधायक बाद में तृणमूल कांग्रेस में और फिर बीजेपी में शामिल हो गये…. इस तरह बीजेपी की एंट्री त्रिपुरा विधानसभा में हो तो गई… मगर उसने अभी तक राज्य में एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीता है… ये विधानस भा चुनाव उसकी असली परीक्षा हैं… राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व वाली सीपीआईएम सरकार के त्रिपुरा में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने और Armed Forces Special Powers Act को हटाने से त्रिपुरा की जनता काफी खुश है और पार्टी को इसका चुनाव में बेहद फ़ायदा मिल सकता है.... 24 साल एंटी इंकम्बेंसी होने बावजूद भी सीपीआईएम को हराना कांग्रेस और बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर होगा…. मेघालय की जो कांग्रेस का गड माना जाता है ...मेघालय में पिछले 9 साल से कांग्रेस की सरकार है....कांग्रेस के सामने किला बचाने की चुनौती है.... कांग्रेस के लिए मेघालय में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है... मुकुल संगमा से नाराज़ चल रहे कांग्रेस के 5 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है.....और ये सभी विधायक नेशनल पीपल्स पार्टी में शामिल हो गये… इन 5 के आलावा 3 और विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है....गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बाद और राजस्थान के उपचुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत से पार्टी का मनोबल काफी बड़ गया है...कांग्रेस फ़िलहाल वर्तमान मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की अगुवाई में ही चुनाव लड़ रही है… और बीजेपी के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो मुकुल संगमा को टक्कर दे सके... जिसका खामियाज़ा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है..
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